नाच गाना
शादी की तैयारियों के साथ नाच गाना तो जुडा ही रहता है।
हमारे दोस्तों में दिपाली को शादियों के ख़ूब सारे गाने आते हैं। लेकिन वो आ नहीं पायी। शार्या, उसकी पुत्री का जन्म मेरी शादी से कुछ दिन पहले ही हुआ था। तो उस के लिए शादी में आना संभव नहीं था। उस की कमी खल तो रही ही थी।
लेकिन उस समय नाचने गाने का मौका कौन छोड़ता है? सभी तैयार थे। श्वेता, अंकिता, संतोष चाची, सभी ने ख़ूब रंग जमाया गाने गा के। मैंने भी एक दो गाने गाये। मैं जब "रुत आ गयी रे" गाना गा रहा था, तब सभी भाई लोग मेरी तरफ देख के मुझे चिडा रहे थे। लेकिन ख़ूब मज़े करे। इसी छेड़ छाड़ से तो ऐसे मौकों पे मज़ा आता है।
नाचने में हम सब नीनू दीदी की कमी को ख़ूब महसूस कर रहे थे। लेकिन गगन ने ख़ूब मज़े करवाये। उस का नाच ख़ूब मजेदार था। "ना परनीन्दा, ना परनीन्दा" वाला तो गाना ही मस्त है और उस पे गगन का नाच - सोने पे सुहागा था।
शादी के पहले वाली रात को तो आशू, प्रिया, अमित भी घर आये थे। वे भी नाचे। नीलम चाची बंटी और बबली गाने पे ख़ूब नाची। उस समय बहुत लोग तो बाक़ी तैयारियों में व्यस्त थे। लेकिन बहुत लोग मज़े कर पाए।
Reception के समय तो DJ वाला नाच गाना था ही। वहां पे तो office के लोग भी थे। सभी ने ख़ूब मस्ती करी। मैं और सुर्य भी कुछ देर नाचे। लेकिन हमें सभी लोगों से मिलना भी था ना, तो ज़्यादा देर नाच नहीं पाए। लेकिन फिर भी कुछ देर सगन की तरह नाच लिए।
नाच गाना किसी भी ख़ुशी के मौक़े पे ख़ूब रंग भर देता है।
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