हंसी की फुहार
शादी वाले दिन (मतलब रात को), मैं तो हँसे ही जा रहा था।
कोई दुःखी होने कि बात ही नहीं थी। और यह तो है ही कि हँसते रहने पे अच्छी फोटो आती है :-)।
In stead, शादी की photos आने के बाद सूर्या मुझे कह रही थी कि मुझे उसे बताना चाहिऐ था कि हंसने से फोटो अच्छी आती हैं।
तो ना केवल फोटो अच्छी आई, सभी को देख के यह भी एहसास हुआ कि मैं खुश हूँ :-)। और खुश तो मैं था ही। इस लिए नहीं कि "आखिरकार शादी हो गयी" लेकिन इस लिए क्योंकि जिन्दगी का एक नया दौर शुरू हो रहा था। जीवन में नए अनुभव होने थे। एक जीवन साथी मिल रहा था। एक ऐसा दोस्त जिस के साथ आगे का जीवन व्यतीत करने कि ठानी थी। और भगवान् जी ने बारिश कि एक छोटी सी फुहार दे के अपना आशीर्वाद भी दे दिया था।
अच्छा अनुभव रहा। जाने लोग क्यों फालतू में कतराते रहते हैं। अगर ठीक नज़रिये से देखा जाए तो इन्सान हर स्थिति में खुश रह सकता है।
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