The Excitement of Life

The most exciting part of life is that it goes on. That you have to enjoy while you are still fighting with the daily routine. That it is possible to be alive and happy in the world where everything may seem to be wrong. This is the beauty of it all.

Saturday, April 07, 2007

नाच गाना

शादी की तैयारियों के साथ नाच गाना तो जुडा ही रहता है।
हमारे दोस्तों में दिपाली को शादियों के ख़ूब सारे गाने आते हैं। लेकिन वो आ नहीं पायी। शार्या, उसकी पुत्री का जन्म मेरी शादी से कुछ दिन पहले ही हुआ था। तो उस के लिए शादी में आना संभव नहीं था। उस की कमी खल तो रही ही थी।
लेकिन उस समय नाचने गाने का मौका कौन छोड़ता है? सभी तैयार थे। श्वेता, अंकिता, संतोष चाची, सभी ने ख़ूब रंग जमाया गाने गा के। मैंने भी एक दो गाने गाये। मैं जब "रुत आ गयी रे" गाना गा रहा था, तब सभी भाई लोग मेरी तरफ देख के मुझे चिडा रहे थे। लेकिन ख़ूब मज़े करे। इसी छेड़ छाड़ से तो ऐसे मौकों पे मज़ा आता है।
नाचने में हम सब नीनू दीदी की कमी को ख़ूब महसूस कर रहे थे। लेकिन गगन ने ख़ूब मज़े करवाये। उस का नाच ख़ूब मजेदार था। "ना परनीन्दा, ना परनीन्दा" वाला तो गाना ही मस्त है और उस पे गगन का नाच - सोने पे सुहागा था।
शादी के पहले वाली रात को तो आशू, प्रिया, अमित भी घर आये थे। वे भी नाचे। नीलम चाची बंटी और बबली गाने पे ख़ूब नाची। उस समय बहुत लोग तो बाक़ी तैयारियों में व्यस्त थे। लेकिन बहुत लोग मज़े कर पाए।
Reception के समय तो DJ वाला नाच गाना था ही। वहां पे तो office के लोग भी थे। सभी ने ख़ूब मस्ती करी। मैं और सुर्य भी कुछ देर नाचे। लेकिन हमें सभी लोगों से मिलना भी था ना, तो ज़्यादा देर नाच नहीं पाए। लेकिन फिर भी कुछ देर सगन की तरह नाच लिए।
नाच गाना किसी भी ख़ुशी के मौक़े पे ख़ूब रंग भर देता है।

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जूते चोरी की कहानी

जूते चुराने की रसम का अपना ही मज़ा होता है।

पूर्वा, आस्था, शिव्या और मेरी अन्य सालियां हम लोगों के खाना खाते ही मेरे से जूते मांगने आई। अब जूते ऐसे ही थोड़े दे दिए जाते हैं। तो उन से कहा कि जूते तो चुराने होते हैं। ऐसे मांगने पे थोड़े ही मिलते हैं। कुछ मेहनत तो करनी पड़ती है ना। तो बस, इतना कहना था की सब लडकियां जुट गयी। सभी मेरे पैरों की तरफ बड़ी। उन का मेरी ओर (मतलब मेरे पैरों कि ओर) बढ़ना था कि मैं कुर्सी से नीचे खिसकता गया। कुछ देर में मैं अपनी पीठ पे बैठा था।
सभी लोग हंसने लगे। वजिभ है। सेहरा पहने दूल्हा अपने टेबल के नीचे छिपा जा रह है। और लडकियां उस के चारों ओर मंडरा रही हैं - उस के पैर पकड़ने को बिलकुल तैयार।
खैर, आख़िर में, आस्था और शिव्या दोनो टेबल के नीचे गई और जूते उतारने लगी। अब मैं कहॉ कम था। मैं अपने पैर हिलाने लगा। ज़ोर ज़ोर से। तो मेरे पैर भी उन के हाथों में ना आएं।
इन सभी बधायों को पार कर के, आखिरकार दोनो कन्याएं मेरे जूते उतारने में सफल हुई।
मेरे जूते गायब कर दिए गए। अब मंडप तक जाना था। लेकिन इन कन्यायों को विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं जूते वापिस उन्हें दे दूंगा। अंत में मैं अजय के जूते पहन कि मंडप तक पहुँचा।
फेरों के बाद सगन देने पे मुझे मेरे जूते वापिस दिए गए। और ऐसे वैसे नहीं, बहुत प्यार से पहनाये गए।
इसी बहाने जीजा अपनी सालियों को ढंग से पहचान पाता है। साली को वैसे ही आधी घरवाली कहा जाता है ना :-)।

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Tuesday, April 03, 2007

हंसी की फुहार

शादी वाले दिन (मतलब रात को), मैं तो हँसे ही जा रहा था।

कोई दुःखी होने कि बात ही नहीं थी। और यह तो है ही कि हँसते रहने पे अच्छी फोटो आती है :-)।

In stead, शादी की photos आने के बाद सूर्या मुझे कह रही थी कि मुझे उसे बताना चाहिऐ था कि हंसने से फोटो अच्छी आती हैं।

तो ना केवल फोटो अच्छी आई, सभी को देख के यह भी एहसास हुआ कि मैं खुश हूँ :-)। और खुश तो मैं था ही। इस लिए नहीं कि "आखिरकार शादी हो गयी" लेकिन इस लिए क्योंकि जिन्दगी का एक नया दौर शुरू हो रहा था। जीवन में नए अनुभव होने थे। एक जीवन साथी मिल रहा था। एक ऐसा दोस्त जिस के साथ आगे का जीवन व्यतीत करने कि ठानी थी। और भगवान् जी ने बारिश कि एक छोटी सी फुहार दे के अपना आशीर्वाद भी दे दिया था।

अच्छा अनुभव रहा। जाने लोग क्यों फालतू में कतराते रहते हैं। अगर ठीक नज़रिये से देखा जाए तो इन्सान हर स्थिति में खुश रह सकता है।

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Saturday, March 10, 2007

Blogging in Hindi

हिंदी में blog लिखने का मज़ा ही अलग है

एक दम से internet ज़्यादा अपना सा लगता है अब बहुत सारे और लोग भी इस माध्यम से मेरा लिखा हुआ पढ़ सकते हैं

अच्छा लग रह है

ज़्यादा आजादी महसूस हो रही है एक नयी ऊर्जा का एहसास भी है जिन्दगी और लेखन अब ज़्यादा अच्छा है

बरात के बारे में

अपनी बरात में घोड़ी पे चड़ने के नाम से बहुत लोग कतराते हैं... जाने क्यों?

कोई इस चीज़ से घबराता है कि घोड़ी दुलत्ती मारेगी, तो कोई इस चीज़ से कि घोड़ी हिलेगी ही ;)

लेकिन मुझे तो अच्छा ही लगा इस लिहाज़ में कि मैं सभी लोगों को आराम से देख पा रहा था और कि एक राजसी सवारी का सा एहसास हो रह था... सभी खुश थे शायद इस लिए कि एक और बकरा हलाल हो गया या शायद इस लिए कि मेरी शादी थी :) लेकिन मैं उन कि ख़ुशी का अच्चा कारण ही मान रह था... यही सोच रहा था कि वे लोग मेरी ख़ुशी में शामिल हैं, और इस लिए वैसे ही खुश हैं जैसे मैं

सभी लोग नाच राहे थे अजय, अमित, आशू, सुमित, पापा, मम्मी, बड़ी मम्मी, बडे पापा, सोनू, लिप्पिका, शवेता, गुरमीत, सैनी अंकल, सैमा, चाची, चाचा - सभी लोग नाच राहे थे अच्छा लग रहा था

मौसम भी अच्छा था तो मुझे तो overall अच्छी feeling ही आ रही थी

बरात अच्छी रही :-)

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Tuesday, September 05, 2006

Happy Teacher's Day

Today is Teachers' day. Teachers have a big role to play in every human being's life. However, at times we limit the concept of teachers to only the teachers who teach us in schools. Life is a great teacher in itself.

So, today is also Life's Day. We have to decide the life to the fullest and be happy.

Life gives us opportunities to help others and be happy. We have to seize them and also continuously strive to keep away from activities that can hurt anyone.

I got one such opportunity today. When I was going to the gurudwara, an old disabled man was trying to mend the chain of his tricycle. Someone had driven rashly and caused him to put sudden brakes. The chain had therefore come out of the teeth of the gear. He was having lots of trouble in getting the thing right and therefore, I stopped for a minute and helped him out.

I hope he felt better. I definitely felt good. I had a happy Life's Day...

happy teachers' day to you too :-)

Sunday, September 03, 2006

The big spider - No, a little bat baby

As we closed our CSH meeting today (CSH stands for Community Service Hour, a meeting of the non-profit organization that I volunteer with - AID Delhi) and moved out of Meera Aunty's house, I noticed a really big spider... Walking down towards us...

It was enchanting... I had never seen this big a spider - must be 2 inches in diameter - on the Delhi streets... At once I related it with the creepy movie with "huge" spiders (I don't even remember the name :-)...)

Both Selva and I got curious and wanted to see it closer. So, we approached it... At once we realized that it wasn't a spider but a little baby bat. And the mother bat was flying around frentically worried about the little baby.

I am not very comfortable with bats - and therefore did not attempt to pick it up. And even if I had picked it up - where would I keep it? Moreover, the mother bat would have fought with me had I tried to touch around with the little baby... So, I just saw to it that it crossed the road - so that it wouldn't be crushed by any vehicle - and moved on... And then, as they say, jaako raakhe saayiyaan maar sake na koi - he must have played on :-)...

Sunday, June 25, 2006

Mujhe chot lag gayi

mujhe chot lag gayi...

aur abhi dard ho raha hai...

am feeling giddy... will write more later...

Friday, June 16, 2006

Forgive and Forget

Shiv ji is reverred for his immense power and a very strong ability to forgive (and forget about the wrong-doing of ) the devotee...

If you read my other blog - esp. the article on Prayers - you will realize that when we pray to a diety, then the image that we capture in our mind is actually the qualities that we want to imbibe in ourselves.

For example, when I am praying to Shiv ji, I can also carry the image of an angry Shiv ji - the destroyer - and then I will imbibe the qualities of a rebel and would want to change the things in the society - hopefully in an attempt to correct the wrong.

So, when I used to pray to Shiv ji in his "bhole nath" image, I used to ask for ability to forgive and forget. God ji is generous. He gave me both. It is easier for me to forgive another person now. What I realized recently was that I have taken to the habit of Forgetting too... This not only for the wrong-doing of the other person, but also for important things.

The result - I can't presently locate my passport. So, I better the image of Shiv ji to the one who truly "forgives"... This aspect will ensure that I forget (because I forgive) the needed stuff. That forgetfulness doesn't affect the important things in life.

While I am not sure if I will be able to locate my passport now, and have already informed the authorities about it, I sure hope that this forgetfulness (rather carelessness) subsides.