अपनी बरात में घोड़ी पे चड़ने के नाम से बहुत लोग कतराते हैं... जाने क्यों?
कोई इस चीज़ से घबराता है कि घोड़ी दुलत्ती मारेगी, तो कोई इस चीज़ से कि घोड़ी हिलेगी ही ;)
लेकिन मुझे तो अच्छा ही लगा इस लिहाज़ में कि मैं सभी लोगों को आराम से देख पा रहा था और कि एक राजसी सवारी का सा एहसास हो रह था... सभी खुश थे शायद इस लिए कि एक और बकरा हलाल हो गया या शायद इस लिए कि मेरी शादी थी :) लेकिन मैं उन कि ख़ुशी का अच्चा कारण ही मान रह था... यही सोच रहा था कि वे लोग मेरी ख़ुशी में शामिल हैं, और इस लिए वैसे ही खुश हैं जैसे मैं
सभी लोग नाच राहे थे अजय, अमित, आशू, सुमित, पापा, मम्मी, बड़ी मम्मी, बडे पापा, सोनू, लिप्पिका, शवेता, गुरमीत, सैनी अंकल, सैमा, चाची, चाचा - सभी लोग नाच राहे थे अच्छा लग रहा था
मौसम भी अच्छा था तो मुझे तो overall अच्छी feeling ही आ रही थी
बरात अच्छी रही :-)
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